Neuralink technology आखिर क्या है ? Elon Musk का क्या मकसद है इंसानी दिमाग में चिप लगाने के पीछे ? जानिए पुरी डिटेल्स !

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एलन मस्क की कंपनी Neuralink ने बीते दिनों इंसान के दिमाग में चिप लगाकर खूब सुर्खियां बटोरी हैं। दिमाग में चिप लगवाने वाले पेशेंट के बारे में अपडेट देते हुए एनल मस्क ने बताया कि वह अब पूरी तरह से ठीक है और सिर्फ सोचकर ही कम्प्यूटर माउस को कंट्रोल कर पा रहा है। यहां हम आपको न्यूरालिंक की इस टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

Neuralink technology आखिर क्या है ? Elon Musk का क्या मकसद है इंसानी दिमाग में चिप लगाने के पीछे ? जानिए पुरी डिटेल्स ! 

एलन मस्क की कंपनी ने इंसानी दिमाग में कम्प्यूटर चिप लगाया है, जो एक साइंस फिक्शन फिल्म की है। उनकी कंपनी ने जनवरी 2024 में पहली बार इंसानी दिमाग में ब्रेन चिप लगाकर काफी सुर्खियां बटोरी। 

अब दिमाग में चिप लगाने वाले व्यक्ति को अपडेट देते हुए उन्होंने बताया कि वह अब पूरी तरह से स्वस्थ है और सिर्फ सोचकर अपने कंप्यूटर माउस को नियंत्रित कर पा रहा है।

Content

1) Neuralink technology किसने बनाई ? 
2) Neuralink technology ने क्या बनाया है ?  
3) Neuralink technology ने बनाई हुई Brain चिप कैसे काम करती है ? 
4) Neuralink technology से बनाई brain चिप से सिर्फ सोचने से कंट्रोल होंगे स्मार्ट device ! 
5) Neuralink technology क्या है भविष्य ? 
6) Neuralink technology इंसानी जीवन के लिये कैसे है फायदेमंद ? 

Neuralink technology किसने बनाई ? 

न्यूरालिंक ने क्या बनाया है? एलन मस्क ने कुछ इंजीनियर्स के साथ मिलकर 2016 में न्यूरालिंक की स्थापना की थी। उनकी कंपनी ब्रेन चिप इंटरफेस (BCI) बना रही है।

सिंक्रोन ने 2012 में सिंक्रोन स्विच नामक एक ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस (बीसीआई) बनाया है। स्टेंट जैसा उपकरण रोगी की रक्त वाहिकाओं में डाला जाता है, और यह कर्सर और स्मार्ट होम डिवाइस जैसी तकनीक को अपने दिमाग से चलाने देता है।

अब तक, सिंक्रोन ने प्रारंभिक अध्ययन के दौरान अमेरिका में छह रोगियों को और ऑस्ट्रेलिया में चार रोगियों को प्रत्यारोपित किया है। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन के नियामकों द्वारा व्यापक व्यावसायीकरण की मंजूरी देने से पहले, कंपनी को अतिरिक्त परीक्षण करना होगा जो उसके उपकरण की सुरक्षा और प्रभावकारिता को साबित करेंगे।

Neuralink technology ने क्या बनाया है ?  

2016 में एलन मस्क ने कुछ इंजीनियर्स के साथ मिलकर न्यूरालिंक बनाया था। ब्रेन चिप इंटरफेस (BCI) उनका उत्पाद है। इसे इंसान की खोपड़ी में डाला जाएगा। कम्पनी का दावा है कि इस चिप की मदद से विकलांग या लकवाग्रस्त मरीज चल और कम्युनिकेट हो सकेंगे। N1 इंप्लांट पहली न्यूरालिंक चिप है।

हमारे दिमाग को सीधे कंप्यूटर से जोड़कर न्यूरालिंक तकनीक हमें स्मार्ट बनने में मदद कर सकती है, जो हमें किसी भी समय बड़ी मात्रा में सूचना प्राप्त करने में सक्षम बना सकती है। यह भी यादों को रिकॉर्ड करके और उन्हें एक बाद की तारीख में वापस चलाकर मेमोरी रिकॉल में सुधार कर सकता है।

पक्षाघात से पीड़ित लोगों को मस्तिष्क गतिविधि का उपयोग करके उपकरणों को दूर से नियंत्रित करने में मदद करना न्यूरालिंक का उद्देश्य है। न्यूरालिंक भविष्य में उपयोगकर्ता की स्मृति और संज्ञानात्मक क्षमताओं को बढ़ाने, मोटर, दृश्य और संवेदी कार्यों को बहाल करने और तंत्रिका संबंधी विकारों का इलाज करने में मदद कर सकता है।

पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने न्यूरालिंक में बंदरों पर परीक्षण के दौरान संक्रमण और इम्प्लांट अटैचमेंट पेंच ढीले होने की शिकायत की है। साथ ही, न्यूरालिंक चाहता है कि मरीज अपने दिमाग से ऐप पर काम कर रहे कंप्यूटिंग उपकरणों को नियंत्रित कर सकें।

Neuralink technology ने बनाई हुई Brain चिप कैसे काम करती है ? 

जिस चिप को न्यूरालिंक इंसानी दिमाग में डाल रहा है, उसका आकार एक छोटी घड़ी का डायल है। इसमें थ्रेड्स, बैटरी और चिप शामिल हैं। इस उपकरण के थ्रेड्स में इलेक्ट्रोड्स हैं, जो दिमाग में होने वाली न्यूरल गतिविधियों को ट्रैक और प्रेषित करते हैं।न्यूरालिंक इंसानी दिमाग में जिस चिप को लगा रहा है, उसका साइज किसी छोटी घड़ी के डायल जैसा है। इसमें चिप, बैटरी और थ्रेड्स शामिल हैं। इस डिवाइस के थ्रेड्स में इलेक्ट्रोड्स हैं, जो दिमाग के अंदर चलने वाली न्यूरल एक्टिविटी को ट्रैक और ट्रांसमिट करते हैं।

इस चिप में 64 थ्रेड्स हैं, प्रत्येक में 1024 इलेक्ट्रोड्स हैं। ये थ्रेड्स इंसान के बाल से भी पतले हैं और इन्हें दिमाग में एक विशिष्ट निडल से डाला जाता है। 

शल्य चिकित्सा द्वारा एक सिक्का के आकार का उपकरण खोपड़ी में डाला जाता है, जिसके अति-पतले तार मस्तिष्क में जाते हैं और मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफ़ेस (बीसीआई) बनाते हैं। डिस्क मस्तिष्क की गतिविधि को रिकॉर्ड करेगी और इसे स्मार्टफोन या किसी अन्य डिवाइस पर ब्लूटूथ के माध्यम से भेज देगी। 

Neuralink technology से बनाई brain चिप से सिर्फ सोचने से कंट्रोल होंगे स्मार्ट device ! 

यह उपकरण थ्रेड्स की मदद से दिमाग में होने वाली हर न्यूरल कार्रवाई को रिकॉर्ड और प्रसारित करता है। इसके अलावा, डेटा N1 User App तक भेजा जाता है।

N1 यूजर ऐप ने न्यूरालिंक बनाया है, जो N1 इंप्लांट के माध्यम से दिमाग में होने वाली न्यूरल गतिविधियों को डिकोड करता है। इसकी मदद से मन में चिप लगाने वाला व्यक्ति सिर्फ सोचकर कंप्यूटर को नियंत्रित कर सकता है।

एलन मस्क ने न्यूरालिंक चिप लगाने वाले चिकित्सक को अपडेट देते हुए कहा कि उनकी संस्था का अगला लक्ष्य कॉम्प्लेक्स इंटरैक्शन को सक्षम करना है। एलन मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बताया कि इस चिप से सिर्फ सोचने से फोन, कंप्यूटर या कोई भी स्मार्ट डिवाइस नियंत्रित किया जा सकता है।

कम्पनी का कहना है कि यह सिस्टम इंसान के दिमाग में चलने वाली न्यूरल एक्टिविटी और कल्पना को बेहतरी से समझेगा और उसी तरह काम करेगा।

हाल ही में न्यूरालिंक ने लकवाग्रस्त व्यक्तियों को कम्प्यूटर या स्मार्टफोन नियंत्रित करने का अभ्यास किया है। भविष्य में इसकी मदद से व्हीलचेयर को नियंत्रित किया जा सकता है।

Neuralink technology क्या है भविष्य ? 

Neuralink का ट्रायल लकवाग्रस्त लोगों पर जारी है। Msk कहते हैं कि वे BCI का उपयोग करके मानवता की मदद करना चाहते हैं। लेकिन चिंता यह है कि यह टेक्नोलॉजी इंसानी दिमाग को अतिरिक्त ऊर्जा देने में सक्षम है, जो सामाजिक अन्याय को बढ़ा सकता है। 

BMI संज्ञानात्मक क्षमताओं को बढ़ाने, तंत्रिका विकारों का इलाज करने और मानव बुद्धि को कृत्रिम बुद्धि के साथ विलय करने की क्षमता है। न्यूरालिंक के भविष्य में प्रौद्योगिकी उत्साही मस्तिष्क की कार्यप्रणाली की मरम्मत और बहाल करने की क्षमता की उम्मीद करते हैं। 

एलन मस्क ने न्यूरालिंक चिप लगाने वाले चिकित्सक को अपडेट देते हुए कहा कि उनकी संस्था का अगला लक्ष्य कॉम्प्लेक्स इंटरैक्शन को सक्षम करना है। एलन मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बताया कि इस चिप से सिर्फ सोचने से फोन, कंप्यूटर या कोई भी स्मार्ट डिवाइस नियंत्रित किया जा सकता है।

Neuralink technology इंसानी जीवन के लिये कैसे है फायदेमंद ? 

 इस उपकरण की मदद से चिप लकवाग्रस्त लोगों के दिमाग को शुरू करेगा। साथ ही, मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए यह उपकरण लाभदायक हो सकता है। इसके गलत इस्तेमाल को भी नकारना असंभव है। वैसे तो, इस उपकरण को कई प्रकार की जांच की गई है। पक्षाघात से पीड़ित लोगों को मस्तिष्क गतिविधि का उपयोग करके उपकरणों को दूर से नियंत्रित करने में मदद करना न्यूरालिंक का उद्देश्य है। न्यूरालिंक भविष्य में उपयोगकर्ता की स्मृति और संज्ञानात्मक क्षमताओं को बढ़ाने, मोटर, दृश्य और संवेदी कार्यों को बहाल करने और तंत्रिका संबंधी विकारों का इलाज करने में मदद कर सकता है।

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