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चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद, इसरो अब चंद्रयान-4 की तैयारी कर रहा है। इसरो ने कहा कि मॉर्डन टेक्नोलॉजी को अनूठा तरीके से बनाया जाएगा और अगले चंद्रयान मिशन को बनाया जाएगा। चंद्रयान-3 ने पिछले साल अगस्त में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी। चंद्रयान-4 मिशन का उद्देश्य चांद की सतह से मिट्टी धरती पर लाना है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने जीएसएलवी-एफ14/इनसैट-3डीएस उपग्रह के सफल लॉन्चिंग की घोषणा की है। उनका कहना था कि अंतरिक्ष एजेंसी चंद्रयान-4, 5, 6 और 7 मिशनों को भेजना चाहती है जब चंद्रयान-3 सफल होगा।
चंद्रयान-4 की तैयारी में जुटे इसरो के वैज्ञानिक! अब क्या लक्ष हैं इसरो के वैज्ञानिक का ? जानिये पुरी डीटेल्स ! |
Content
1) चंद्रयान-4 : क्या लक्ष है ?
2) चंद्रयान-4 : को सरकार मंजूरी देगा या नही ?
3) चंद्रयान-4 : कब होगा काम शुरू ?
4) चंद्रयान-4 : कोन कोन जायेगा ?
चंद्रयान-4 : क्या लक्ष है ?
भारत और जापान मुख्य रूप से चंद्रयान-4 मिशन को पूरा करेंगे। दोनों देशों की इसमें अलग-अलग भूमिका होगी। चंद्रमा की सतह पर 350 किलोग्राम के रोवर को सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाले मून लैंडर का निर्माण भारतीय मिशन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। चंद्रयान-3 का सबसे छोटा रोवर 35 किलोग्राम का था। जापान चंद्रयान-4 मिशन में रोवर बनाएगा। यह रोवर नवाचार और तकनीक से भर जाएगा। यह चांद की सतह, जिसे लूनर सर्फेस कहा जाता है, पर कई प्रकार की जांच करेगा।
सोमनाथ ने कहा, "हम चंद्रयान-4 को लेकर काम कर रहे हैं।" हम इस मिशन की आवश्यकताओं पर काम कर रहे हैं। इस बार योजना कुछ अलग होगी।इसरो प्रमुख ने कहा, "पहली चीज उन्होंने यह तय किया है कि चंद्रयान-4 के तहत चंद्रमा की मिट्टी का सैंपल पृथ्वी पर लाया जाएगा।" हम पूरी प्रक्रिया रोबोटिक करना चाहते हैं। इस पर बहस चल रही है। उपलब्ध रॉकेटों से यह काम किस तरह किया जाए? सभी को पता है कि चंद्रमा पर जाना और वहाँ से एक नमूना लाना बहुत मुश्किल होगा।'
JAXA ने बताया कि LUPEX चांद की सतह पर पानी और अन्य संसाधनों की खोज करना है। साथ ही चांद की सतह पर घूमने में माहिर होना है। JAXA ने लूनर रोवर की देखभाल की, और ISRO लैंडर को तैयार करेगा, जो रोवर को ले जाएगा. यह एक बहुराष्ट्रीय सहयोग है।
यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) और नेशनल एयरोनॉटिक्स स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के कुछ उपकरण भी रोवर पर लगाए जाएंगे।
चंद्रयान-4 : को सरकार मंजूरी देगा या नही ?
अंतरिक्ष विभाग के सचिव एस सोमनाथ ने कहा कि वैज्ञानिक चंद्रयान-4 मिशन के लिए उच्चस्तरीय तकनीक बनाने में जुटे हुए हैं। मिशन को सरकार की ओर से जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इसरो के वैज्ञानिकों को अगली पीढ़ी के मौसम पूर्वानमान उपग्रह के सफल लॉन्च पर बधाई दी। सोशल मीडिया एक्स पर, उन्होंने इन्सैट-3डीएस, एक विकसित मौसम उपग्रह, के सफल प्रक्षेपण पर इसरो टीम को बधाई दी। प्राकृतिक आपदाओं से मुकाबला करने में भारत को तीसरी पीढ़ी का उपकरण मिलेगा। यह प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिज्ञा को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
चंद्रयान-4 : कब होगा काम शुरू ?
भारत ने चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब चंद्रयान-4 की तैयारी की है। लेकिन इस बार भारत चांद पर अकेले नहीं जाएगा। इसरो जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के साथ मिलकर यह मिशन चलाएगा। चंद्रयान-4 मिशन 2026 में शुरू होना चाहिए।
जापानी स्पेस एजेंसी का अनुमान है कि H3 रॉकेट 2025 में चंद्रयान 4 को लॉन्च कर सकता है। इसका वजन रोवर के साथ 350 केजी से अधिक होगा। यह तीन महीने से अधिक समय तक चलेगा। रिपोर्ट के अनुसार, चंद्रयान 4 भी चांद के दक्षिणी ध्रुव में लैंड करेगा, चंद्रयान 3 के तहत।
चंद्रयान-4 : कोन कोन जायेगा ?
भारत और जापान मुख्य रूप से चंद्रयान-4 मिशन को पूरा करेंगे। दोनों देशों की इसमें अलग-अलग भूमिका होगी। चंद्रमा की सतह पर 350 किलोग्राम के रोवर को सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाले मून लैंडर का निर्माण भारतीय मिशन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। चंद्रयान-3 का सबसे छोटा रोवर 35 किलोग्राम का था।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब चांद पर फिर से उड़ान भरने की योजना बनाई है। खबर है कि भारतीय स्पेस एजेंसी ने जापान की JAXA (जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी) के साथ मिलकर चांद पर जाने का प्रयास किया है। दोनों लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन (LUPEX), जिसे चंद्रयान-4 भी कहते हैं, पर काम कर रहे हैं।
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